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अखिलेश यादव ने 18000 शिकायत भेजने का किया दावा, चुनाव आयोग ने बताया – केवल 3919 मेल मिले, उनमें भी फर्जी या मृत व्यक्तियों के नाम: पकड़ी गई ‘वोट चोरी’ के नाम पर सपा की ‘हेराफेरी’


अखिलेश यादव के झूठे दावों पर चुनाव आयोग का जवाब

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया था कि उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को 18 हजार मतदाताओं के शपथ पत्र सौंपे हैं, जिनमें साजिशन वोट काटे जाने की शिकायत की गई थी। लेकिन अब चुनाव आयोग ने इस दावे की पोल खोल दी है। आयोग ने स्पष्ट किया कि उन्हें न तो 18 हजार शपथ पत्रों की मूल प्रतियाँ मिलीं और न ही इतनी संख्या में शिकायतें दर्ज हुई हैं। केवल 3,919 स्कैन कॉपियाँ ही ईमेल से प्राप्त हुईं हैं, जिनमें भी कई दस्तावेज या तो फर्जी हैं या मृत व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए हैं।

अखिलेश यादव का दावा – 18 हजार शपथ पत्र सौंपे गए

अखिलेश यादव ने पहले 21 अगस्त 2025 को X ( पहले ट्विटर) पर लिखा, “हमने 18,000 एफिडेविट सौंपे, लेकिन आयोग ने सिर्फ़ 14 का जवाब दिया। बाकी 17,986 का क्या?”

फिर समाजवादी पार्टी की मीडिया सेल ने 25 अगस्त 2025 को X (पहले ट्विटर) पर लिखा, “2022 का विधानसभा चुनाव और उपचुनाव भाजपा की मिलीभगत से लूटे गए। चुनाव आयोग भाजपाई बेईमानियों में शामिल है।”

अखिलेश यादव ने यह भी दावा किया कि उन्होंने 18,000 मतदाताओं के शपथ पत्र चुनाव आयोग को सौंपे हैं, जो यह बताते हैं कि कैसे साजिश के तहत उनका वोट काटा गया।

चुनाव आयोग का जवाब– एक भी मूल शपथ पत्र नहीं मिला

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने अखिलेश यादव के दावे की हवा निकालते हुए साफ कहा, “18 हज़ार शपथ पत्रों के साथ की गई शिकायत का उल्लेख किया जा रहा है, लेकिन एक भी मतदाता का शपथ पत्र मूल रूप में प्राप्त नहीं हुआ है।” चुनाव आयोग ने बताया कि केवल 3919 स्कैन कॉपियाँ ईमेल के माध्यम से मिली हैं और वो भी कई मामलों में संदिग्ध पाई गई हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने समाजवादी पार्टी से अपील की, “अगर 18 हजार शपथ पत्र हैं, तो उनकी मूल प्रतियाँ उपलब्ध कराएँ, जिससे निष्पक्ष जाँच पूरी हो सके।” लेकिन अखिलेश यादव अब तक सिर्फ स्कैन कॉपियों और बयानबाज़ी पर अड़े हुए हैं, जबकि असली दस्तावेजों की डिमांड पर चुप्पी साध ली है।

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन की जाँच में सामने आया कि अब तक जिन 5 विधानसभा क्षेत्रों की जाँच हुई है, उनमें कई शपथ पत्र मृत व्यक्तियों के नाम पर बने हैं, जिनकी मौत 2022 से पहले ही हो चुकी थी। कुछ लोगों ने अपने नाम से बने शपथ पत्रों को देखने के बाद साफ इंकार कर दिया कि उन्होंने कोई हलफनामा दिया है। यानी, फर्जीवाड़ा साफ नजर आया। चुनाव आयोग ने यह भी याद दिलाया कि गलत साक्ष्य देना कानूनन अपराध है।

सपा नेता के दो-दो फर्जी वोट

समाजवादी पार्टी ने X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “तो दिक्कत क्या है? सस्पेंड करवाईए SDM को, सरकार आपकी है, मंत्री हैं आप। @ECISVEEP देख लीजिए।” वीडियो में दावा किया गया कि कन्नौज जिले में समाजवादी पार्टी के नेताओं के नाम से दो-दो फर्जी वोट दर्ज हैं और प्रशासन इस पर कार्रवाई नहीं कर रहा।

वीडियो में एक नेता का दावा है कि कन्नौज में वोटर लिस्ट में बड़ी गड़बड़ी है। उन्होंने कहा कि कई लोगों के नाम दो-दो जगह पर हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है नवाब सिंह यादव, जिन्हें ‘मिनी सीएम‘ कहा जाता है और जो अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं।

नवाब सिंह का नाम एक ही चुनाव में दो अलग-अलग बूथों पर दर्ज है– बूथ 233 और बूथ 299। उनके भाई वीरपाल यादव के भी दो वोट दर्ज हैं– बूथ 233 और 300 पर। वीडियो में यह भी कहा गया कि नवाब सिंह यादव एक नाबालिग से रेप केस में जेल में बंद हैं और फिर भी उनके नाम से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है। नेता ने इस मामले की जाँच और कानूनी कार्रवाई की माँग की, ताकि दो-दो वोट बनाने वालों पर सख्त कदम उठाया जाए।

चुनाव आयोग का जवाब– कार्रवाई शुरू हो चुकी है

इस वीडियो और शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश (CEO UP) ने साफ कहा, “मामले का संज्ञान ले लिया गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी कन्नौज को त्वरित और गहन जाँच करने व जरूरी कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं।”

पहले भी चुनाव आयोग ने डिजिटल इंडिया पर आरोप लगाने वाले अखिलेश यादव के दावों को खारिज किया था। अखिलेश यादव ने यूपी के कई जिलों- लखनऊ, कासगंज, बाराबंकी और जौनपुर की ओर उंगली उठाते हुए कहा था कि वोटर लिस्ट से लोगों के नाम गलत तरीके से हटाए गए है। लेकिन खुद जिले के DM ने अखिलेश यादव की पोस्ट का फैक्ट चुक करते हुए करारा जवाब दिया था।



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