NCERT की कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की नई किताब अब मुग़ल तथा इस्लामी आक्रान्ताओं की सच्चाई बताएगी। ‘समाज की खोज: भारत और उससे आगे भाग 1’ किताब में मुस्लिम आक्रांताओं की क्रूरता को भी बच्चों को पढ़ाया जाएगा। इस किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासनकाल को एक नए दृष्टिकोण से दिखाया गया है।

इस पुस्तक में बाबर को ‘क्रूर विजेता’, अकबर के शासन को ‘क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण’ और औरंगजेब को ‘मंदिरों व गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला’ बताया गया है। किताब में सल्तनत काल को लूट, विध्वंस और धार्मिक असहिष्णुता से भरा बताया गया है।

इंडियन एक्स्प्रेस के अनुसार, NCERT ने बताया है कि यह नई पुस्तक 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच के राजनीतिक घटनाक्रम, विद्रोहों और धार्मिक संघर्षों को केंद्र में रखती है, जिसे अब पहली बार कक्षा 8 में पढ़ाया जा रहा है। इससे पहले इसे 7वीं कक्षा में पढ़ाया जाता था।

सल्तनत काल और धार्मिक स्थलों पर हमले

नई पुस्तक में बताया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर ने श्रीरंगम, मदुरै, चिदंबरम और संभवतः रामेश्वरम जैसे प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किए। दिल्ली सल्तनत के दौरान बौद्ध, जैन और हिंदू मंदिरों पर कई बार हमले हुए। किताब के अनुसार, इन हमलों का उद्देश्य केवल लूट नहीं था, बल्कि मूर्तिभंजन यानी धार्मिक प्रतीकों का विनाश भी इसका मुख्य उद्देश्य था।

जजिया कर और गैर-मुस्लिम प्रजा

पुस्तक में ‘जजिया’ कर के बारे में भी बताया गया है। बताया गया है कि कुछ मुस्लिम शासकों द्वारा गैर-मुसलमानों (हिन्दुओं) पर लगाया गया था। किताब के अनुसार, यह कर उनके लिए सार्वजनिक अपमान का कारण भी बन गया। नई किताब के अनुसार, इस कर ने इस्लाम अपनाने के लिए एक प्रकार का वित्तीय और सामाजिक दबाव पैदा किया। कक्षा 7 की पुरानी किताब में जज़िया को भूमि कर के साथ वसूला गया कर बताया गया था, जबकि नई किताब इसे एक स्वतंत्र और अलग कर के रूप में पेश करती है।

बाबर – एक विजेता की दोहरी छवि

बाबर की आत्मकथा में उसे एक सुसंस्कृत और बौद्धिक रूप से जिज्ञासु व्यक्ति बताया गया है, लेकिन नई किताब में कहा गया है कि वह एक क्रूर विजेता था। किताब में बताया गया है कि उसने कई शहरों में नरसंहार किए, महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया और लूटे गए शहरों के मारे गए लोगों की खोपड़ियों से मीनारें बनवाने पर गर्व महसूस किया। वहीं, पुरानी किताब में बाबर को केवल एक ऐसा शासक बताया गया था जिसे अपने सिंहासन से हटने के बाद काबुल और फिर दिल्ली और आगरा पर कब्ज़ा करने का अवसर मिला।

अकबर – सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण

अकबर को नई किताब में एक ऐसा शासक बताया गया है जिसमें सहिष्णुता और क्रूरता दोनों के तत्व थे। नई किताब बताती है कि जब उसने चित्तौड़गढ़ के किले पर आक्रमण किया, तो लगभग 30,000 नागरिकों के नरसंहार का आदेश दिया।

किताब के अनुसार, अपनी जीत की घोषणा करते हुए उसने कहा कि उसने काफिरों के किलों और कस्बों पर कब्जा कर इस्लाम की स्थापना की और तलवार के बल पर मंदिरों को नष्ट कर काफिरों के प्रभाव को मिटा दिया। फिर अकबर ने बाद में विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाई, फिर भी प्रशासन में गैर-मुसलमानों की संख्या अल्प ही रही।

औरंगजेब – धार्मिकता और राजनीति

नई किताब औरंगजेब के शासन को राजनीतिक और मजहबी दृष्टिकोणों से देखती है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उसके कई निर्णय राजनीतिक थे, उसके फरमान यह भी दिखाते हैं कि उसमें मजहबी कट्टरता भी थी।

उसने अपने राज्य के गवर्नरों को मंदिरों और धार्मिक शिक्षण संस्थानों को नष्ट करने के आदेश दिए। उसने काशी, मथुरा, सोमनाथ के मंदिरों, जैन धार्मिक स्थलों और सिख गुरुद्वारों को ध्वस्त करने का आदेश दिया।

आर्थिक और सामाजिक स्थिति

पुस्तक यह भी बताती है कि सल्तनत और मुगल शासन के अधीन एक मजबूत प्रशासनिक ढाँचा था और 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच आर्थिक गतिविधियाँ काफी जीवंत थीं। शहरों और बुनियादी ढाँचे में काफी प्रगति हुई, लेकिन 1600 के दशक के अंत में आर्थिक संकट और दबाव का दौर शुरू हुआ। इसके बावजूद, भारतीय समाज ने कस्बों, मंदिरों और अर्थव्यवस्था के अन्य पहलुओं के पुनर्निर्माण में लचीलापन और अनुकूलन क्षमता दिखाई।

मराठा और शिवाजी का योगदान

अध्याय के अंत में मराठों का वर्णन किया गया है, जिसमें शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार और दूरदर्शी नेता कहा गया है। उन्हें एक धार्मिक हिंदू बताया गया है जो अन्य धर्मों का सम्मान करते थे और अपवित्र हो चुके मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाते थे।

किताब के भीतर मराठों को भारत के सांस्कृतिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना गया है। पुरानी किताब में शिवाजी को केवल एक कुशल प्रशासक और मराठा राज्य की नींव रखने वाला बताया गया था, लेकिन नई किताब में उनके धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को भी महत्व दिया गया है।

नई किताब में दिल्ली सल्तनत के उत्थान-पतन, विजयनगर साम्राज्य, मुगलों का शासन, उनके खिलाफ हुए प्रतिरोध और सिखों के उदय को विस्तार से दर्शाया गया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि पहले दिल्ली सल्तनत और मुगल इतिहास की पढ़ाई कक्षा 7वीं में होती थी।

लेकिन अब नए पाठ्यक्रम संरचना में बदलाव करते हुए, इसे 8वीं कक्षा में शामिल किया गया है। यह नई किताब पहले से कहीं ज्यादा आलोचनात्मक, विश्लेषणात्मक और तथ्यों पर आधारित है। इसमें शासकों की धार्मिक और सैन्य नीतियों का खुलकर अंदाजा लगाया गया है, जिसकी जानकारी पहले की किताबों में हल्की फुलकी ही दी गई थी।

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