बांग्लादेश के चटगाँव जिले के सीताकुंडा में स्थित चंद्रनाथ मंदिर और चंद्रनाथ पहाड़ी एक बार फिर कब्जे और अपवित्र करने के खतरे का सामना कर रहे हैं। यह पवित्र स्थान हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहाँ का चंद्रनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में हिंदू शासक चंद्रसेन ने करवाया था।

अब, कुछ इस्लामी कट्टरपंथी इस तीर्थस्थल को जबरन ‘पर्यटन स्थल’ घोषित कराकर वहाँ मस्जिद और मुस्लिम प्रार्थना स्थल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह अभियान दिसंबर 2023 से ही चल रहा है, लेकिन  शनिवार (16 अगस्त 2025) को इसे एक नई गति दी गई। ‘SKM Shoe Shop’ के चेयरमैन और इस्लामी प्रचारक एम एम सैफुल इस्लाम ने 16 अगस्त को फेसबुक पर दावा किया कि चंद्रनाथ पहाड़ी पर मस्जिद का निर्माण ‘90% तय’ हो चुका है।

सैफुल ने यह भी लिखा कि उन्हें और उनके साथी को चोटी पर नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी गई। उन्होंने दुःख जताते हुए लिखा, “93% मुस्लिम आबादी वाले देश में चंद्रनाथ पहाड़ी पर दो मंदिर हो सकते हैं, लेकिन एक मस्जिद नहीं? क्या हम मुस्लिम इस देश में किराएदार हैं?”

इसके बाद उन्होंने देवबंदी कट्टरपंथी हारून इजहार से मुलाकात की, जो पहले हिफाजत-ए-इस्लाम से जुड़ा रहा है। उन्होंने भी फेसबुक पर पोस्ट कर कहा, “चंद्रनाथ पहाड़ी पर मस्जिद बनाने की बातचीत चल रही है, सभी मुस्लिम भाई इस पोस्ट को शेयर करें ताकि सभी को इसके बारे में पता चले और वे मिशन की कामयाबी के लिए दुआ करें।”

सैफुल इस्लाम ने अपने पोस्ट में साफ तौर पर कहा, “मैं साफ-साफ कहना चाहता हूँ। चूँकि आपने मुझे और मेरे दोस्त को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी, इसलिए आज या कल, मैं सीताकुंड पहाड़ी पर नमाज के लिए एक अलग जगह जरूर बनवाऊँगा। इंशाअल्लाह।”

उसने हिंदू समुदाय को ‘मालौन’ (एक अपमानजनक शब्द) कहकर अपमानित किया, जिसके बाद उसका फेसबुक अकाउंट, जिस पर 52,000 फॉलोअर्स थे, सस्पेंड कर दिया गया।

हालाँकि उसने तुरंत एक दूसरा अकाउंट ‘Mufti Saiful Islam’ से फिर से पोस्ट करना शुरू कर दिया और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलता रहा।

नवंबर 2024 से  बांग्लादेश में कुछ इस्लामी कट्टरपंथी ‘Total Malaun Death’ (TMD) नामक अभियान चला रहे हैं, जिसमें खुलेआम सनातन धर्मियों के सफाए की बात की जा रही है।

जुलाई 2025 में, एक चरमपंथी मोहम्मद अबीर ने हिंदू व्यापारी भजन कुमार गुहा की निर्मम हत्या कर दी और सोशल मीडिया पर उसे ‘मालौन’ कहकर हत्या को जायज ठहराया।

इस विवाद के बाद हारून इजहार, जिसे 2021 में गिरफ्तार किया गया था, उसने सफाई देते हुए चंद्रनाथ पहाड़ी को ‘कथित हिंदू तीर्थस्थल’ कहा और दावा किया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर के पास नहीं, बल्कि वहाँ होगा जहाँ मुस्लिम ‘पर्यटक’ बनकर जाते हैं। यह बयान स्पष्ट रूप से हिंदू धार्मिक स्थलों की धार्मिक पहचान को नकारने की कोशिश है।

उसने कहा कि एक मुस्लिम होने के नाते ‘अवैध भूमि’ पर मस्जिदों और प्रार्थना स्थलों के निर्माण की वकालत करना उसका अधिकार है। देवबंदी चरमपंथी ने तब आरोप लगाया कि उन्होंने चटगाँव में हिंदुओं की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने में मदद की थी, ताकि उनके इस दावे को बल मिले कि मस्जिद निर्माण का उद्देश्य चंद्रनाथ पहाड़ी पर कब्जा करना नहीं है।

उसने आगे दावा किया कि यह पूरा विवाद भारत में हिंदू समुदाय के राजनीतिक आकाओं और ‘सांप्रदायिक ताकतों’ की साजिश है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि हारुन इजहार लालखान बाजार मदरसा में ग्रेनेड हमले सहित 11 मामलों में वांछित है, जिसे 2013 में हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश द्वारा अंजाम दिया गया था।

2023 से ही चंद्रनाथ पहाड़ी पर कब्जा करने की फिराक में हैं इस्लामी कट्टरपंथी

हिंदू श्रद्धालुओं के लिए यह जगह धार्मिक आस्था का प्रतीक है, लेकिन अब इसे ट्रेकिंग स्पॉट और इस्लामी प्रचार स्थल में बदलने की कोशिशें हो रही हैं।

दिसंबर 2023 में रेहान रियाद नाम के एक इस्लामी कट्टरपंथी ने चंद्रनाथ मंदिर क्षेत्र में बीफ बारबेक्यू पार्टी आयोजित की, जिसे कई अन्य कट्टरपंथियों का समर्थन मिला। यह हिंदू धार्मिक स्थल का सीधा अपमान था। स्थानीय हिंदू समाज ने इस हरकत के खिलाफ पर्चे बाँटे और मंदिर की रक्षा की अपील की।

लेकिन जब उन्होंने विरोध किया, तो उन पर हमला कर दिया गया। मानवाधिकार कार्यकर्ता और निर्वासित बांग्लादेशी ब्लॉगर असद नूर के मुताबिक, मुस्लिम हमलावरों ने हिंदू देवी-देवताओं को पूजा करने वालों के पीछे धकेलने की धमकी दी।

जब हिंदुओं ने इसका विरोध किया, तो धारदार हथियारों से लैस उन्हीं चरमपंथियों के गुट ने उन पर हमला कर दिया। खबरों के मुताबिक, इस हमले में कुल 10 हिंदू गंभीर रूप से घायल हुए।

इसके बाद सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें सामने आईं, जिनमें इस्लामी कट्टरपंथी चंद्रनाथ मंदिर क्षेत्र में अजान दे रहे थे। ‘टाइगर्स तामीम’ नाम का एक व्यक्ति मंदिर की दीवार पर पैर रखे बैठा दिखा। मोहम्मद शिब्बीर बिन नजीर नामक एक अन्य व्यक्ति ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “इंशाअल्लाह, यहाँ इस्लाम का झंडा जल्द लहराएगा।”

इनामुल हक नाम के एक और कट्टरपंथी ने लिखा, “मैं वहाँ दो बार गया हूँ, मस्जिद की कमी महसूस हुई। वहाँ अभी भी ‘शिर्क’ (मूर्तिपूजा) हो रही है।”

फरवरी 2024 में कुछ वीडियो सामने आए, जिनमें कई मुस्लिम पुरुष टोपी पहनकर मंदिर क्षेत्र में नारे लगाते और इधर-उधर घूमते नजर आए। बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद के एक अधिकारी ने स्वराज्य  को बताया, “अप्रैल 2023 से कुछ मौलवियों ने हर शुक्रवार को मंदिर के पास नमाज का आयोजन शुरू कर दिया है और हमने सुना है कि पहाड़ी पर एक मस्जिद बनाने की योजना है। यह झूठी कहानी भी फैलाई जा रही है कि पहाड़ी के ऊपर एक मस्जिद थी और उसे हिंदुओं ने मंदिर बनाने के लिए तोड़ दिया।”

पिछले साल हिंदू समाज की ओर से चंद्रनाथ मंदिर के संरक्षण का आह्वान करने वाला एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें लिखा था, “सबधन, राहुर कोबोले चंद्रनाथ धाम” यानी सावधान, राहु के कब्जे में चंद्रनाथ धाम।” इससे साफ है कि हिंदू समाज मंदिर की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

यह मंदिर नागर शैली में बना है, जो भारतवर्ष के कई प्राचीन मंदिरों में पाई जाती है। इसमें एक शिखर (ऊँचा बुर्ज), आमलक (गोलाकार ढाँचा) और कलश होता है।

कट्टरपंथियों की यह मुहिम लगातार तेज हो रही है और ऐसा कहा जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस की सरकार की नर्म नीति की वजह से इन्हें बढ़ावा मिल रहा है। इससे भविष्य में चंद्रनाथ मंदिर पर खतरा और भी बढ़ सकता है।

यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में दिबाकर दत्ता ने लिखी है। मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। इसका अनुवाद सौम्या सिंह ने किया है।



Source link

Search

Categories

Recent Posts

Tags

Gallery