जबलपुर की शिवराज बस्ती में घरों के बाहर लिखें यह मकान बेचना है

जबलपुर की शिवराज बस्ती में पोस्टर लगे हैं, जिसमें लिखा है कि ‘यह मकान बिकाऊ है’। बस्ती के लोगों ने यह कदम कुछ अनजान और अवैध घुसपैठियों से परेशान होकर लगाया है। बस्ती के लोग इन्हें रोहिंग्या या संदिग्ध बता रहे हैं। इन लोगों पर गंदगी फैलाने, चोरी करने और अभद्र व्यवहार करने के आरोप हैं। हालाँकि, पुलिस की जाँच में कुछ और ही बात सामने आई है।

क्या है पूरा मामला?

दैनिक भास्कर की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिवराज बस्ती में रहने वाले कुछ परिवारों ने बताया है कि पिछले कुछ समय से करीब 50 लोग यहाँ आकर रह रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर खानाबदोश (जिनका कोई स्थायी निवास नहीं) हैं। कुछ लोग झोपड़ियाँ बनाकर रह रहे हैं और कुछ किराए पर कमरे लिए हैं।

स्थानीय निवासियों ने बताय कि ये लोग भीख माँगते हैं, गंदगी फैलाते हैं और उपद्रव कर माहौल को खराब करते हैं। जब कुछ लोगों ने इनका विरोध किया तो अवैध घुसपैठियों ने गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार किया। इसी वजह से कई परिवार अपने घर छोड़कर चले गए हैं और घरों के बाहर लिखवा दिया है ‘मकान बेचना है’। यह मामला 5 सितंबर 2025 के आस-पास का बताया जा रहा है। इसका एक वीडियो यूट्यूब पर भी मिला है, जिसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग देखी जा सकती है।

बस्ती में बने दो गुट

अवैध घुसपैठियों को लेकर शिवराज बस्ती के लोगों में भी दो गुट बन गए हैं। एक गुट इन्हें हटाना चाहता है और मानता है कि ये लोग बांग्लादेशी या रोहिंग्या हैं और इनसे खतरा है। वहीं, जिन लोगों ने घुसपैठियों को किराए पर कमरे दिए हैं, वे इनका समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये लोग अपना कमाते-खाते हैं और कोई परेशानी पैदा नहीं करते हैं। यह पूरा मामला अब पुलिस की जाँच के दायरे में आ गया है।

बस्ती में रहने वाली एक महिला ने बताया कि वो इस बस्ती में कई सालों से रह रही हैं। इसके अलावा आधार कार्ड बारिश में बह गया और लोग उन्हें चोरी करने वाला, गंदगी फैलाने वाला बताते हैं।

पुलिस की जाँच और विरोधाभासी बयान

इन पोस्टरों की जानकारी मिलने पर कुछ हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जाँच शुरू की तो पता चला कि यहाँ रहने वाले लोग महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के हैं और खानाबदोश हैं। पुलिस ने बताया कि ये लोग कहीं से भगाए नहीं गए हैं, बल्कि अपनी मर्जी से यहाँ रह रहे हैं।

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