अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयानों के उलझे हुए ताने-बाने में फँसते नजर आए। एक तरफ वो कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच ‘बहुत खास रिश्ता’ है और प्रधानमंत्री मोदी को अपना ‘पुराना दोस्त’ बताते हैं। वहीं दूसरी तरफ, भारत के रूस से तेल खरीदने पर गहरी नाराज़गी जताते हैं और उसी नाराज़गी में भारत पर 50% का भारी टैरिफ भी लगा देते हैं।
अजीब बात ये है कि कुछ घंटे पहले ही ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दावा किया था कि अमेरिका ने भारत और रूस दोनों को ‘चीन के अंधेरे में खो दिया है।’ और अब वही ट्रंप रिश्तों की मिठास की बात कर रहे हैं।

बयान पलटना कोई ट्रंप से सीखे- पहले भारत से नाराज, अब मोदी ‘महान’
टैरिफ और तनाव के बीच ट्रंप अपने बयानों से फिर पलटते दिखें। जब पत्रकारों ने उनसे भारत के साथ संबंधों को लेकर सवाल किया, तो ट्रंप का लहजा बिल्कुल बदल गया। ट्रंप ने कहा, “मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूँगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं… मुझे सिर्फ यह पसंद नहीं है कि वह इस समय क्या कर रहे हैं, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक विशेष संबंध है। चिंता की कोई बात नहीं है।”
#WATCH | Washington DC | Responding to ANI’s question on resetting relations with India, US President Donald Trump says, “I always will, I will always be friends with Modi, he is a great Prime Minister, he is great… I just don’t like what he is doing at this particular moment,… pic.twitter.com/gzMQZfzSor
— ANI (@ANI) September 5, 2025
यह बयान दिखाता है कि ट्रंप व्यापारिक मुद्दों पर सख्त होने के साथ-साथ अपने बयानों से बखूबी पलटना जानते है। जब भारत के साथ दोस्ती खत्म होते हुए दिखी और चीन-रूस के साथ नजदीकी बढ़ते हुए दिखी, तब ट्रंप को पुराना रिश्ता अपना याद आने लगा।
वहीं, अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन ने कहा था कि पहले ट्रंप अमेरिका-भारत के संबंधों को दशकों पीछे धकेल दिया है, जिसके बाद मोदी-रूस-चीन करीब आ पाए।
चीन को लेकर ट्रंप का बयान
ट्रंप ने अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि अमेरिका ने भारत और रूस को ‘अंधेरे चीन’ के हाथों ‘खो दिया‘ है। यह बयान तब आया जब प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तिआनजिन शिखर सम्मेलन में एक साथ देखा गया था।
ट्रंप का यह मानना है कि तीनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती दुनिया में एक ‘नया विश्व व्यवस्था’ का संकेत है। हालाँकि, जब भारतीय विदेश मंत्रालय से इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया माँगी गई, तो प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जवाब दिया, ‘इस वक्त इस पर कोई टिप्पणी नहीं है।’ भारत ने सीधे तौर पर ट्रंप के बयान का जवाब नहीं दिया, लेकिन यह चुप्पी बहुत कुछ कहती है।
अमेरिका का भारत पर नया टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का भारी टैरिफ लगाया है। उन्होंने इस फैसले के पीछे की वजह भारत द्वारा रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदना बताया। ट्रंप ने कहा कि वह इस बात से ‘बहुत निराश’ हैं और उन्होंने यह बात भारत को बताई भी है।
यह टैरिफ दो हिस्सों में लगाया गया है, 25% का बेस टैरिफ और 25% का अतिरिक्त लेवी। इस टैरिफ के बाद से भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध पिछले कई सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए हैं। इस वजह से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार जारी है।
व्यापार वार्ता पर उम्मीद
टैरिफ के तनाव के बावजूद, ट्रंप ने भारत और अन्य देशों के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं पर आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि व्यापार वार्ता ‘बहुत बढ़िया’ चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अन्य देशों के साथ भी अच्छा कर रहा है। यह बयान दिखाता है कि अमेरिका भारत के साथ संबंधों को सुधारने के लिए तैयार है, भले ही मौजूदा मतभेद हों।
हालाँकि, उनके वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत रूस से तेल खरीदकर मुनाफा कमा रहा है और यह यूक्रेन युद्ध के लिए रूस को आर्थिक मदद देने जैसा है। इसके अलावा पीटर नवारो ने यह भी कहा कि भारत के तेल खरीदने से अमेरिका में लोगों की नौकरियाँ खतरे में पड़ रही है, जो बिल्कुल ही बेतुका बयान है।