उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कुंदावली गाँव में बीते छह सालों से ईसाई धर्मांतरण का खेल चल रहा था। कासगंज का रहने वाला पास्टर हृदयेश गाँव में आता-जाता था और लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करता था।

उसकी पत्नी नीतू और गाँव की कुछ महिलाएँ भी इस काम में शामिल थीं। गाँव में बने एक मकान में अस्थायी चर्च बनाकर वहाँ लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराया जाता था। गाँव में लगभग 20 लोगों को पानी की टंकी में खड़ा कर उन्हें शपथ दिलाने के फोटो और वीडियो भी सामने आए हैं।

इसी के बाद यह मामला सामने आया, लेकिन पुलिस ने पहले इसे नजरअंदाज किया। थाने से लेकर सीओ स्तर तक के अधिकारी शुरुआत में पूरे मामले को दबाने की कोशिश करते दिखे।

मामले में पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने भी एक्स पर शपथ दिलाने की फोटो शेयर करते हुए पुलिस की लापरवाही का खुलासा किया। उन्होंने लिखा, उत्तर प्रदेश के बदायूं में हिंदुओं के अवैध धर्मांतरण के मामले को स्थानीय थाने और यहाँ तक कि सर्किल ऑफिसर ने भी दबा दिया। उन्होंने यह कहकर पूरी बात को रफा-दफा कर दिया कि किसी ने धर्मांतरण नहीं किया (हालाँकि स्क्रीनशॉट में दिखाई गई धर्मांतरण की तस्वीरें भी मौजूद हैं)।”

रिपोर्ट्स के अनुसार, सीओ बिल्सी संजीव कुमार ने जल्दबाजी में बयान देते हुए कहा कि उन्हें ट्विटर के जरिए जानकारी मिली थी कि गाँव में प्रार्थना सभाएँ होती हैं। जब पुलिस मौके पर पहुँची तो उन्हें कोई पीड़ित नहीं मिला जिसने सीधे तौर पर धर्मांतरण की शिकायत की हो।

हालाँकि दूसरी ओर सोशल मीडिया पर लगातार फोटो और वीडियो सामने आते रहे, जिनमें लोगों को धर्म बदलने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा था। इन साक्ष्यों के सामने आने के बाद पुलिस की सफाई और झूठ पकड़े गए।

अंत में किसी तरह पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। हालाँकि अब भी पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने मौके से चार लोगों को पकड़ा था, जिनमें दो महिलाएँ भी थीं। लेकिन अब सिर्फ पास्टर हृदयेश को हिरासत में लेने की बात कही जा रही है और महिलाओं की तलाश जारी होने का दावा किया जा रहा है।

इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध और लापरवाह नजर आई, लेकिन जनता और सोशल मीडिया के दबाव में आकर आखिरकार कार्रवाई करनी पड़ी।



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