लखनऊ की एक विशेष SC/ST कोर्ट ने वकील परमानंद गुप्ता को झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आरोप में उम्रकैद की सजा और ₹5.10 लाख का जुर्माना लगाया है। वकील ने दलित महिला से पड़ोसियों पर झूठे रेप का केस दर्ज करवाया था, जिसके बाद जाँच में सभी आरोप बेबुनियाद निकले। कोर्ट ने फैसले में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल का भी आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील परमानंद गुप्ता ने एक जमीन विवाद में अपने पड़ोसी अरविंद यादव और उनके परिवार को फँसाने के लिए दलित महिला पूजा रावत से बलात्कार और उत्पीड़न का फर्जी केस दर्ज कराया। पूजा रावत वकील की पत्नी संगीता गुप्ता के ब्यूटी पार्लर में काम करती थी।
मुकदमे में आरोप लगाया गया कि मार्च से जुलाई 2024 के बीच उसके साथ दुराचार हुआ। वकील परमानंद गुप्ता का मकसद था कि इस आरोप के बाद उसके विरोधियों को जेल हो जाएगी और वह व्यक्तिगत बदला भी ले लेगा।
जाँच में कैसे खुला फर्जीवाड़ा?
सीबीआई जाँच अधिकारी ने पाया कि पूजा रावत घटना के समय 1 मार्च 2024 से 24 जुलाई 2024 तक मौके पर मौजूद नहीं थी। जहाँ उसे किरायेदार बताया गया था, वह मकान उस समय निर्माणाधीन था। मोबाइल लोकेशन, गवाहों के बयान और अन्य दस्तावेज़ों से साबित हुआ कि मामला पूरी तरह फर्जी है।
पूजा रावत ने कोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि वकील परमानंद गुप्ता और उसकी पत्नी ने दबाव बनाकर झूठे बयान दिलवाए। वह डर के कारण मजिस्ट्रेट के सामने झूठा बयान देने को मजबूर हुई।
कोर्ट का फैसला: उम्रकैद और AI निगरानी का आदेश
स्पेशल जज विवेकानंद त्रिपाठी ने अपने फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि दूध से भरे महासागर में खट्टे पदार्थों की बूंदों को गिरने से नहीं रोका गया तो पूरा महासागर खराब और नष्ट हो जाएगा।” जज ने यह भी कहा कि अगर ऐसे वकीलों को नहीं रोका गया तो भारतीय न्यायपालिका पर से जनता का विश्वास उठ जाएगा।

कोर्ट ने बताया कि परमानंद गुप्ता ने 11 और पूजा गुप्ता ने 18 फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए, इसलिए दोषी वकील को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा कोर्ट ने झूठे मुकदमों को रोकने के लिए AI का उपयोग करने का निर्देश दिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ रोकी जा सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR दर्ज होते ही मुआवजे की राशि न दी जाए, बल्कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही दी जाए।
कोर्ट ने पूजा रावत को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। हालाँकि, अदालत ने उसे चेतावनी दी कि अगर वह भविष्य में ऐसा करती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।