मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि सोशल मीडिया पर महिलाओं को धमकाने या अश्लील मैसेज भेजने वालों के खिलाफ सख्त कानून की कमी है। कोर्ट ने एक मामले में आरोपित को अग्रिम जमानत दे दी, जिसमें उसने पीड़िता को धमकी भरे संदेश भेजे थे।

कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर महिलाओं को अश्लील या धमकी भरे संदेश भेजने जैसे गंभीर मामलों में भी आरोपित पर केवल जमानती धाराएँ लगाई जाती हैं। कोर्ट का कहना है कि ऐसे मामलों के लिए अलग से कोई सख्त कानून नहीं बनाया गया है।

जानकारी के अनुसार, मामले में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घिनौनी और मानसिक रूप से परेशान करने वाली हरकतों के बावजूद आरोपित पर केवल जमानती धाराएँ लगाई जाती हैं। ऐसे मामलों की शिकार महिलाएँ, विशेष रूप से युवा लड़कियाँ असुरक्षित महसूस करती हैं और उन्हें राज्य या कोर्ट से भी पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिलती।”

क्या है मामला?

आरोपित और पीड़िता की छह साल पहले सगाई हुई थी, लेकिन बाद में वह टूट गई। सगाई टूटने के बाद आरोपित ने पीड़िता को सोशल मीडिया  पर लगातार परेशान करना शुरू कर दिया। उसने धमकी भरे और डराने वाले संदेश पोस्ट किए, जैसे “तू चाहे शादी कर ले, मैं तेरी शादी बर्बाद कर दूँगा, ये मेरा वादा है। मुझे केस करवाना है अपने ऊपर… तू सोचती है कि मुझे छोड़ कर चैन से जी लेगी, ऐसा नहीं होगा। मुझे जेल जाना ही है तो 10 दिन चला जाऊँगा, फिर क्या… मैं तेरी शादी नहीं होने दूँगा, चाहे कुछ भी हो जाए।”

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 183 के तहत पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि इस तरह की धमकियों की वजह से उसकी एक और सगाई टूट गई। उसे कॉलेज जाना भी छोड़ना पड़ा, क्योंकि आरोपित के संदेश उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहे थे।

कोर्ट की टिप्पणी

रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने माना कि आरोपित के खिलाफ जो धाराएँ लगाई गई हैं (जैसे पीछा करना और डराना), वे जमानती हैं, जबकि ऐसे मामलों के लिए अलग और सख्त कानून होने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधियों को रोकने के लिए और महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए विधायिका को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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