छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में विशेष NIA कोर्ट ने 1 अगस्त 2025 को केरल की दो कैथोलिक ननों, प्रीति मेरी और वंदना फ्रांसिस और एक जनजातीय युवक सुकमन मंडावी को सशर्त जमानत दे दी।

इन तीनों को 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर सरकार रेलवे पुलिस (GRP) ने गिरफ्तार किया था। उन पर मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप था, जो एक स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ता की शिकायत पर आधारित था।

शिकायत में दावा किया गया था कि तीनों नन तीन आदिवासी लड़कियों को नारायणपुर से आगरा ले जा रहे थे और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश कर रहे थे।

रिपोर्ट के अनुसार, जमानत पर रिहा हुई आरोपित प्रीति मेरी, वंदना फ्रांसिस (दोनों असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट – एएसएमआई) और सुकमन मंडावी को कोर्ट ने कई सख्त शर्तों के साथ राहत दी है।

उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा, 50-50 हजार रुपये का जमानत बांड भरना होगा और दो-दो जमानतदार पेश करने होंगे। कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि तीनों बिना NIA कोर्ट की अनुमति के देश नहीं छोड़ सकते।

NIA कोर्ट के जज सिराजुद्दीन कुरैशी ने कहा कि जाँच अभी शुरुआती चरण में है और FIR मुख्यतः संदेह के आधार पर दर्ज की गई थी। अदालत के अनुसार, आरोपितों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और तीनों कथित पीड़ित लड़कियों के माता-पिता ने अपने हलफनामों में स्पष्ट किया है कि उनकी बेटियों को ननों ने न तो बहलाया और न ही जबरन धर्म परिवर्तन कराया।

लड़कियों ने अपने बयानों में पुलिस को बताया कि वे वर्षों से ईसाई धर्म का पालन कर रही हैं और वे अपनी मर्जी से आगरा जा रही थीं, जहाँ उन्हें काम के लिए ले जाया जा रहा था।

निचली अदालतों से पहले जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी। दुर्ग की फास्ट ट्रैक सत्र अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज की थी कि मामला NIA कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसके बाद आरोपित ने बिलासपुर स्थित विशेष अदालत का रुख किया।

इस मामले पर केरल में व्यापक विरोध देखने को मिला था। चर्च संगठन, एलडीएफ सरकार और विपक्षी कॉन्ग्रेस समेत कई दलों ने गिरफ्तारी की निंदा की थी। सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने इसे ‘संविधान की जीत’ बताया और कहा कि एफआईआर को रद्द कराने के लिए लड़ाई जारी रहेगी।

वहीं सीपीएम नेता वृंदा करात ने जनजातीय समुदाय की आवाज को मान्यता मिलने पर खुशी जताई और बजरंग दल तथा हिंदू वाहिनी पर झूठी शिकायत दर्ज कराने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की माँग की।

मामले पर केरल और छत्तीसगढ़ भाजपा इकाइयों में भी टकराव देखने को मिला। केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने गिरफ्तारी को गलतफहमी बताया था और कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार जमानत का विरोध नहीं करेगी।

फिलहाल,आरोपितों की रिहाई के बाद मिशनरी और वामपंथी खेमे में खुशी की लहर है। छत्तीसगढ़ में समर्थक उन्हें रिसीव करने पहुँचे, जबकि कानूनी प्रक्रिया अब NIA अदालत की निगरानी में आगे बढ़ेगी।



Source link

Search

Categories

Recent Posts

Tags

Gallery