अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के बीच चल रहे वाकयुद्ध में ट्रंप ने एक नई घोषणा की है। इसके तहत अमेरिका ने रूस के पास दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट साझा की है। इसमें उन्होंने लिखा है, “रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के भड़काऊ बयानों के आधार पर मैंने दो परमाणु पनडुब्बियों को उपयुक्त क्षेत्रों में तैनात करने का आदेश दिया है- इस आशंका के तहत कि कहीं ये मूर्खतापूर्ण और उकसाने वाले बयान केवल शब्दों तक सीमित न रह जाएँ।”

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ट्रंप ने आगे लिखा, “शब्द बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, और अक्सर अनजाने में गंभीर परिणामों की ओर ले जाते हैं। मैं आशा करता हूँ कि यह मामला ऐसा न हो। इस विषय पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।”

दोनों नेताओं के बीच चल रहा वाकयुद्ध

दोनों देशों के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी के बाद ट्रंप ने ये कदम उठाया है। इस सप्ताह की शुरुआत में ट्रंप ने रूस को एक अल्टीमेटम दिया था कि 10 दिनों के अंदर रूस यूक्रेन में युद्धविराम पर सहमति दे अन्यथा रूस और उसके तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाए जाएँगे।

इसके बाद 28 जुलाई 2025 को मेदवेदेव ने ट्रंप के लिए लिखा कि वह रूस के साथ अल्टीमेटम का खेल खेल रहे हैं: 50 या 10 दिन… उन्हें दो बातें याद रखनी चाहिए। पहली ये कि रूस ‘इजरायल या ईरान’ नहीं है और दूसरी ये कि ट्रंप का हर नया अल्टीमेटम ‘युद्ध की ओर एक कदम’ माना जाएगा और ये युद्ध यूक्रेन-रूस के बीच नहीं, बल्कि अमेरिका के साथ होगा।

रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बेहद खास माने जाते हैं। मेदवेदेव ने ट्रंप की घोषणा को उकसावे की कार्रवाई बताया

ट्रंप की युद्ध रोकने की कोशिश में पलट गई बाजी

असल में ट्रंप का ये अल्टीमेटम ट्रंप की एक व्यापक दबाव रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसके तहत वे रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से चल रहे युद्ध को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले महीने, ट्रंप ने दोनों दोनों देशों को शांति समझौता करने के लिए 50 दिन का समय दिया था। इस महलत के साथ ट्रंप ने चेतावनी भी दी थी कि अगर बातचीत सफल नहीं होती है तो रूस और उसके साथ व्यापार करने वाले देशों पर कई गुना टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

हालाँकि ये तनाव तब और बढ़ गया जब मेदवेदेव ने ट्रंप के सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट के जवाब में एक बयान दे दिया। ट्रुथ सोशल पर किए गए पोस्ट के जवाब में पूर्व राष्ट्रपति ने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा, “जहाँ तक भारत और रूस की ‘डेड इकोनॉमी’ और ‘खतरनाक क्षेत्र में दाखिल होने’ का सवाल है, तो ट्रंप को अपनी पसंदीदा ‘द वॉकिंग डेड’ जैसी फिल्में याद रखना चाहिए। उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि डेड हैंड कितना खतरनाक हो सकता है।”

इसके बाद से दोनों देशों के नेताओं के बीच वाकयुद्ध का दौर बढ़ता चला गया।

17 साल बाद फिर तैनात हुए परमाणु हथियार

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2008 के बाद पहली बार ब्रिटेन में परमाणु हथियार तैनात किए हैं। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने यूरोप में सामरिक परमाणु हथियार तैनात किए थे ताकि सोवियत संघ के प्रभाव पर संतुलन बनाए रखा जा सके। तब ब्रिटेन का एयरबेस RAF Lakenheath अमेरिका के परमाणु मिशन का केंद्र था जहाँ पर B61 श्रृंखला के परमाणु बम रखे जाते थे।

शीत युद्ध (Cold War) एक वैचारिक, राजनीतिक और सामरिक तनाव की अवधि थी जो 1945 से 1991 यानी लगभग 46 वर्षों तक चली। इसमें अमेरिका और सोवियत संघ दो प्रमुख गुटों के रूप में आमने-सामने थे, लेकिन उन्होंने कभी भी आमने-सामने आकर युद्ध नहीं लड़ा।

2008 में रूस के साथ तनाव कम होने पर ओबामा सरकार ने ब्रिटेन से ये हथियार हटा लिए थे। बताते चलें कि B61-12 थर्मोन्यूक्लियर बम हैं। ये अधिक सटीक और आधुनिक हैं। ये F-35A जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों से छोड़े जा सकते हैं।

ट्रंप की पनडुब्बी तैनात करने की घोषणा के बाद से RAF Lakenheath में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। साथ ही ‘surety dormitory’ नामक परमाणु हथियारों के सुरक्षित भंडारण की सुविधा बनाई गई है।

ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि परमाणु पनडुब्बियाँ कहाँ तैनात की जा रही हैं। लेकिन उनका बयान यूक्रेन युद्ध को लेकर चल रही शांति कोशिशों के बीच एक गंभीर तनाव के तौर पर उभरा है।



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