पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव

पश्चिम बंगाल में वोटरलिस्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा चुनाव आयोग ने पकड़ा है। यहाँ चुनाव आयोग ने पाया है कि बड़ी मात्रा में फर्जी वोटर फॉर्म को स्थानीय अधिकारी जमा कर रहे थे। यह काम बंगाल के कुछ जिलों में हो रहा था। दो अधिकारियों ने यह माना भी है कि उन्होंने बड़ी संख्या में फर्जी फॉर्म भी जमा किए।

पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने 28 जुलाई, 2025 को सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को संबोधित एक पत्र में लिखा, “निरंतर अपडेशन के दौरान ERO द्वारा 1% से कम फॉर्म 6 निपटान की सैंपल जाँच में सामने आया है कि कि दो लोगों ने फर्जी मतदाताओं के लिए काफी संख्या में फॉर्म 6 स्वीकार किए थे।”

चुनाव आयोग ने बताया कि इन दो ERO अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने से निचले अधिकारियों को चुनाव आयोग पोर्टल का एक्सेस दिया था। यहाँ ERO.net पोर्टल पर ‘डाटा एंट्री ऑपरेटरों’ ने फॉर्म 6 के आवेदन निपटा दिए।

भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के राष्ट्रीय संयोजक अमित मालवीय ने एक्स पर ट्वीट करते हुए कहा है,”ममता बनर्जी द्वारा बूथ लेवल अधिकारियों को खुलेआम धमकी देने और उन्हें भारत के चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन न करने के लिए कहने के कुछ ही दिनों बाद, पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने नियमित मतदाता सूची जाँच और नमूना सर्वेक्षणों के दौरान गंभीर अनियमितताओं को चिन्हित किया है।”

और भी गंभीर बात यह है कि इन मामलों में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से फॉर्म की सत्यापन प्रक्रिया को बिना किसी जरूरी कारण के हटा दिया गया। एक जैसे दस्तावेज कई फॉर्मों में इस्तेमाल किए गए और उनकी जाँच रिपोर्ट भी एक जैसी दिखाई दी।

इस गंभीर गड़बड़ी को देखते हुए CEO ने तत्काल जाँच के आदेश दिए हैं। सभी DEOs को निर्देश दिया गया है कि वे वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम बनाकर पिछले एक साल में निपटाए गए सभी फॉर्म 6 की सैंपल जाँच करें। यह रिपोर्ट 14 अगस्त 2025 तक अनिवार्य रूप से CEO को भेजनी होगी।

CEO ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट जाँच पर हो रही बात

राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर स्पेशल इन्टेंशिव रीवीजन (SIR) 2002 के डेटा के प्रकाशन के साथ ही राज्य में मतदाता सूची की समीक्षा की अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य चुनाव आयोग मतदाता सूची को अपडेट कर सकता है।

बिहार में चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया करवाई है। यहाँ अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजद, कॉन्ग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस प्रक्रिया का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने दावा किया है कि यह मतदाता सूची के बहाने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को गुपचुप तरीके से लागू करने की कोशिश है।

TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि यह मतदाता सूची को अपडेट करने की नियमित प्रक्रिया है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को यह करने का पूरा अधिकार है।

बिहार में SIR के बाद करीब 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे। इससे पहले 21 जुलाई 2025 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह अपने राज्य में SIR प्रक्रिया नहीं होने देंगी।

भाजपा ने पश्चिम बंगाल में फर्जी मतदाताओं को लेकर जताई चिंता

भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बांग्लादेश से सटी पश्चिम बंगाल की सीमावर्ती जिलों में मतदाता आवेदन की संख्या में अचानक तेजी आई है। उनका कहना है कि यह बढ़ोतरी राज्य प्रशासन द्वारा जिला अधिकारियों को डोमिसाइल (स्थायी निवास) प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश देने के बाद देखने को मिली है।

सुवेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग (ECI) को पत्र लिखकर माँग की है कि अगर 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में कोई विशेष पुनरीक्षण (SIR) किया जाता है, तो 25 जुलाई 2025 या उसके बाद जारी किए गए डोमिसाइल प्रमाणपत्रों को मान्य नहीं माना जाए।

बीजेपी लंबे समय से पश्चिम बंगाल में फर्जी और डुप्लिकेट वोटरों का मुद्दा उठाती रही है। फरवरी 2024 में सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी के छह सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) से मिला और 16 लाख फर्जी या दोहरे वोटरों की शिकायत की। उन्होंने चुनाव आयोग से तुरंत कार्रवाई की माँग की।

इसके अलावा, दिसंबर 2023 में झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों का मुद्दा उठाया था और केंद्र सरकार से जल्द से जल्द राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू करने की माँग की थी।



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