ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल के मालदा से दिल्ली के गीता कॉलोनी में रहने आए एक बंगाली प्रवासी परिवार ने सोशल मीडिया पर लाइक्स और चर्चा में आने के लिए एक ऐसा वीडियो बनाया जिसके कारण राजनीतिक उठापटक मच गई। इसके बाद पुलिस जाँच हुई तो मामले की सच्चाई सामने आ गई।

शनिवार (26 जुलाई 2025) को एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मुख्तार खान अपने छोटे से बच्चे के कान और चेहरे के साथ अपनी पत्नी सजनूर बीबी के चेहरे को भी दिखलाकर बंगाली भाषा में यह कहता नजर आ रहा है कि उन दोनों के साथ मारपीट की गई है और साधारण कपड़ों में आए कुछ पुलिस वालों ने उनसे 25,000 रुपए भी वसूले हैं। वीडियो में जीपीएस ट्रैक में लिखा है कि यह वीडियो नई दिल्ली के गीता कॉलोनी में बनाया गया है।

ममता ने लपका मौका

सोशल मीडिया में वायरल होते ही पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ा। 27 जुलाई 2025 को वीडियो को साझा करते हुए ममता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भयानक, बेहद भयावह! देखिए मालदा के चंचल से दिल्ली आए एक प्रवासी परिवार के बच्चे और उसकी माँ को दिल्ली पुलिस ने कितनी बुरी तरह से मारा है।”

ममता बनर्जी ने आगे लिखा, “देखिए किस तरह बच्चों तक को हिंसा की क्रूरता से बक्शा नहीं जा रहा है। भाषाई आतंक के दौर में बीजेपी ने देश के बंगालियों के खिलाफ हिंसा शुरू कर दी है। हमारा देश किस दिशा में जा रहा है?”

पुलिस ने की पड़ताल

टीएमसी सुप्रीमो के इस ट्वीट के बाद पूर्वी दिल्ली के डीसीपी अभिषेक धनिया ने इस मामले की पूरी पड़ताल करवाई। सीसीटीवी फुटेज और परिवार से कड़ाई से पूछताछ की। पूरी जाँच के बाद डीसीपी ने अपना बयान जारी किया।

उन्होंने बताया कि यह पूरा मामला ही झूठा था और महिला ने मालदा जिले में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के कहने पर भी झूठा वीडियो बनाया था। यह रिश्तेदार एक राजनीतिक कार्यकर्ता है जिसने जानबूझकर इस तरह का वीडियो बनवाया जिससे वह किसी तरह का राजनीतिक लाभ उठा सके।

डीसीपी अभिषेक ने कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने ‘X’ पर एक पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने एक बंगाली भाषी महिला और उसके बच्चे के साथ मारपीट की। जानकारी मिलते ही हमने जाँच शुरू की और पता चला कि महिला का नाम सजनूर बीबी है। वह अपने पति मुख्तार खान और दो बच्चों के साथ पश्चिम विनोद नगर के मजबूर नगर में रहती है। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि 26 जुलाई की रात लगभग 10:30 बजे चार पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में उनके घर आए और उन्हें एक सुनसान जगह ले जाकर पीटा, साथ ही ₹25,000 की माँग की, जो उन्होंने बाद में दे दिए।”

डीसीपी ने आगे कहा, “मामले की गंभीरता को देखते हुए हमने कई टीमें गठित कीं। तकनीकी और स्थानीय इंटेलिजेंस के साथ-साथ सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हमने कई सबूत इकट्ठा किए। उन सबूतों के आधार पर हमें यह ज्ञात हुआ कि महिला द्वारा बताई गई पूरी कहानी निराधार है। महिला अपनी मर्जी से दोपहर 12:03 बजे दोनों बच्चों के साथ घर से निकली। उसके साथ किसी के भी होने की बात CCTV फुटेज में सामने नहीं आई।”

डीसीपी अभिषेक ने बताया कि पूछताछ में महिला ने यह भी बताया कि वह रास्ता भटक गई थी। किसी स्थानीय की मदद से उसने अपने मामा को फोन किया। वह पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में रहता है और एक राजनीतिक कार्यकर्ता है। उसके कहने पर ही उसने यह झूठा वीडियो बनाया और उसे भेजा, जिसे बाद में स्थानीय मीडिया में प्रसारित किया गया।

डीसीपी ने कहा, “गहन जाँच और पूछताछ के बाद ये बात सामने आई है कि पूरा वीडियो झूठा और मनगढ़ंत है। इस वीडियो को जानबूझकर सोशल मीडिया पर फैलाया गया ताकि दिल्ली पुलिस की छवि को नुकसान पहुँचाया जा सके। आगे की जाँच अभी भी जारी है।”

यूजर्स ने भी ममता ‘दीदी’ को लताड़ा

पुलिस के बयान के बाद एक्स पर कई यूजर्स ने TMC सुप्रीमो और कोलकाता पुलिस को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक यूजर ने कहा कि कोलकाता पुलिस ने फेक न्यूज़ फैलाने के एवज में ममता बनर्जी का अकाउंट सस्पेंड नहीं किया, उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं किया। लेकिन इसी जगह कोई दूसरा होता तो उसका अकाउंट अब तक बंद हो चुका होता। समानता सभी नागरिकों के लिए एक जैसी होनी चाहिए। जय हिंद।

एक अन्य यूजर ने दिल्ली पुलिस के लिए लिखा कि दिल्ली पुलिस को निराधार आरोप लगाने के लिए ममता बनर्जी पर मुकदमा करना चाहिए। एक यूजर ने लिखा, “हम सभी को पता है कि अब चुनाव होने वाले हैं तो बंगाल की ओर से इस तरह के अनगिनत ड्रामा देखने को मिलेंगे।”



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