प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम) और मालदीव की यात्रा ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई ऊँचाई दी है। इन दोनों देशों के साथ हुए ऐतिहासिक समझौतों ने भारत के आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव को और मजबूत किया है। यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी पहले’ और ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) नीति का एक शानदार उदाहरण है।
आइएविस्तार से जानते हैं कि इन दौरों से भारत को क्या-क्या फायदे हुए, कौन-कौन से समझौते हुए और इनका भारत के भविष्य पर क्या असर होगा।
पीएम मोदी की इंग्लैंड यात्रा के दौरान CETA समझौता
24 जुलाई 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी की इंग्लैंड यात्रा के दौरान भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CETA) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता तीन साल की कठिन मेहनत और 14 दौर की जटिल बातचीत का नतीजा है। भारत की ओर से वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूके की ओर से बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए।
इस ऐतिहासिक मौके पर पीएम मोदी, यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और यूके की चांसलर रैचेल रीव्स भी मौजूद थे। यह समझौता भारत को वैश्विक व्यापार में एक नया मुकाम दिलाने वाला है।
CETA से जुड़ी अहम बातें
CETA की शुरुआत 2022 में हुई थी, जब ब्रेक्जिट के बाद यूके नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश में था। भारत भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के अपने मिशन को गति देना चाहता था। तीन साल की बातचीत में कई मुश्किल मुद्दों पर चर्चा हुई, जैसे टैरिफ कटौती, वीजा नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा। 6 मई 2025 को दोनों देशों ने सैद्धांतिक सहमति जताई, और 22 जुलाई 2025 को भारत की यूनियन कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी। आखिरकार, 24 जुलाई 2025 को यह समझौता हस्ताक्षरित हुआ।
यह समझौता इसलिए खास है क्योंकि यह सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। यह वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, बौद्धिक संपदा, और पेशेवर गतिशीलता को कवर करता है। यह भारत के लिए आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम है।
CETA से भारत को होने वाले फायदे
99% एक्सपोर्ट पर शून्य टैरिफ
- भारत से यूके जाने वाले 99% सामानों पर अब कोई टैरिफ नहीं लगेगा। इससे कपड़ा, चमड़ा, जूते, रत्न-आभूषण, खिलौने, और समुद्री उत्पादों जैसे क्षेत्रों में निर्यात को भारी बढ़ावा मिलेगा।
- किसानों और मछुआरों को लाभ: 95% कृषि उत्पादों पर शून्य टैरिफ से भारतीय चाय, कॉफी, हल्दी, काली मिर्च, दालें, आम, नारंगी, जैकफ्रूट, और मिलेट्स जैसे जैविक उत्पादों को यूके के 375 अरब डॉलर के कृषि बाजार में आसान पहुँच मिलेगी। मछुआरों को 99% समुद्री उत्पादों पर शून्य टैरिफ से आय में 20-30% की बढ़ोतरी होगी।
- संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा: भारत ने डेयरी, सेब, और खाद्य तेल जैसे क्षेत्रों को समझौते से बाहर रखा, ताकि स्थानीय किसानों और उद्योगों को नुकसान न हो।
- अनुमानित वृद्धि: इन क्षेत्रों से निर्यात में 10-15% की सालाना वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे तिरुपुर, कानपुर, और कोलकाता जैसे टेक्सटाइल और चमड़ा हब में लाखों नौकरियाँ पैदा होंगी।
रोजगार सृजन और MSMEs को बढ़ावा
- यह समझौता भारत में लाखों नौकरियाँ पैदा करेगा, खासकर मेहनत आधारित क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, चमड़ा और ज्वैलरी में।
- छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs), कारीगरों और बुनकरों को वैश्विक बाजार में जगह मिलेगी। बौद्धिक संपदा और भौगोलिक संकेतक (GI टैग) प्रोटेक्शन से भारतीय उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी।
- उदाहरण के लिए तिरुपुर के टेक्सटाइल उद्योग और कानपुर के चमड़ा उद्योग को नया बाजार मिलेगा, जिससे स्थानीय कारीगरों और महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
सस्ते आयातित उत्पाद
- यूके से भारत आने वाली व्हिस्की, कारें (जैसे जगुआर, लैंड रोवर), चॉकलेट, कॉस्मेटिक्स, और मेडिकल उपकरण जैसे ईसीजी और एक्स-रे मशीनें सस्ती होंगी।
- व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटकर 75% और अगले 10 साल में 40% तक होगा। कारों पर टैरिफ 100% से 10% तक कम होगा।
- इससे भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलेंगे, और यूके की कंपनियों को भारत जैसे बड़े बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा।
सर्विस सेक्टर में नए अवसर
- यूके ने पहली बार इतनी बड़ी प्रतिबद्धताएँ दी हैं। भारतीय आईटी/आईटीईएस, वित्तीय सेवाएँ, शिक्षा, टेलीकॉम, आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग कंपनियों को यूके के बाजार में आसान पहुँच मिलेगी।
- डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन (DCC): 75,000 भारतीय कर्मचारियों को यूके में सामाजिक सुरक्षा भुगतान से 3 साल की छूट मिलेगी। इससे उनकी सैलरी बढ़ेगी और कंपनियों की लागत 20-30% कम होगी।
- 36 सेवा क्षेत्रों में ‘इकोनॉमिक नीड्स टेस्ट’ की जरूरत नहीं होगी और 35 यूके क्षेत्रों में भारतीय पेशेवर 24 महीने तक बिना स्थानीय कार्यालय के काम कर सकेंगे।
- हर साल 1,800 से ज्यादा भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और संगीतकार यूके में काम कर सकेंगे।
शिक्षा क्षेत्र में क्रांति
- यूके की पाँच मशहूर यूनिवर्सिटी साउथेम्पटन, लिवरपूल, यॉर्क, एबरडीन और ब्रिस्टल भारत में कैंपस खोलेंगी। साउथेम्पटन ने गुरुग्राम में कैंपस शुरू कर दिया है और बाकी बेंगलुरु और मुंबई में खुलेंगे।
- इससे भारतीय छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा घर बैठे मिलेगी और विदेश जाने की लागत बचेगी। यह भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा।
निवेश और स्टार्टअप्स
- यूके से 6 अरब पाउंड (लगभग 65,000 करोड़ रुपये) का निवेश भारत में आएगा, जो मैन्युफैक्चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा।
- भारतीय स्टार्टअप्स को यूके के निवेशकों और इनोवेशन हब्स तक पहुँच मिलेगी, जिससे वैश्विक विस्तार में मदद मिलेगी।
आर्थिक विकास और वैश्विक नेतृत्व
- वर्तमान में भारत-यूके का द्विपक्षीय व्यापार 56 अरब डॉलर (लगभग 4.7 लाख करोड़ रुपये) का है। CETA का लक्ष्य इसे 2030 तक 120 अरब डॉलर (10 लाख करोड़ रुपये) तक ले जाना है।
- 2040 तक 2.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यापार होगा, जो भारत की GDP को 0.5-1% बढ़ाएगा।
- यह समझौता भारत के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को तेज करेगा और भारत को वैश्विक व्यापार में लीडर बनाएगा।
CETA की खासियतें
- वस्तु और सेवा व्यापार: यह समझौता वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और बौद्धिक संपदा को कवर करता है।
- सतत विकास: पर्यावरण, नवाचार, और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने पर जोर।
- महिलाओं और MSMEs के लिए प्रावधान: व्यापार वित्त और वैश्विक साझेदारी के लिए विशेष सुविधाएँ।
- पेशेवर गतिशीलता: भारतीय पेशेवरों को यूके में काम करने के लिए आसान वीजा नियम।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा, “यह समझौता भारत के किसानों, कारीगरों और छोटे व्यवसायियों के लिए नए दरवाजे खोलेगा। यह भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में ले जाएगा।”
मालदीव यात्रा: भारत-मालदीव संबंधों में नया युग
25 जुलाई 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर हुई इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण दौर के बाद रिश्तों को नई मजबूती दी। मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान और चीन की ओर झुकाव के बाद यह यात्रा एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है।
मालदीव के साथ रिश्तों की पृष्ठभूमि
भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से सांस्कृतिक, व्यापारिक और रणनीतिक रिश्ते रहे हैं। 1965 में मालदीव की आजादी के बाद भारत पहला देश था, जिसने इसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1988 में ऑपरेशन कैक्टस, 2004 की सुनामी और 2014 के जल संकट में भारत ने मालदीव की मदद की। कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारत ने टीके और आर्थिक सहायता दी।
हालाँकि 2023 में राष्ट्रपति मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद ‘इंडिया आउट’ अभियान ने रिश्तों में खटास ला दी थी। मुइज्जू ने भारत की सैन्य मौजूदगी को संप्रभुता के लिए खतरा बताया और चीन के करीब जाने की कोशिश की। लेकिन भारत की आर्थिक और रणनीतिक मदद ने मालदीव को भारत की अहमियत समझा दी। 2024 में मालदीव के विदेश और रक्षा मंत्रियों की भारत यात्रा और भारत की 400 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप सुविधा ने रिश्तों को सुधारा।
मालदीव यात्रा के दौरान हुए समझौते और भारत को फायदे
आर्थिक सहायता और ऋण राहत
- भारत ने मालदीव को 4,850 करोड़ रुपये की ऋण सहायता (एलओसी) दी, जिससे बुनियादी ढाँचा, आवास और सामुदायिक विकास परियोजनाएँ शुरू होंगी।
- मालदीव के वार्षिक ऋण चुकौती दायित्वों को कम किया गया, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को राहत मिलेगी।
- 400 मिलियन डॉलर (3,320 करोड़ रुपये) की करेंसी स्वैप सुविधा और 50 मिलियन डॉलर (415 करोड़ रुपये) के ट्रेजरी बिल को आगे बढ़ाया गया।
- 69 मिलियन डॉलर (572.7 करोड़ रुपये) की अनुदान सहायता का वादा।
- फायदा: भारत मालदीव का सबसे भरोसेमंद आर्थिक साझेदार बनकर उभरेगा। यह हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को बढ़ाएगा और चीन के प्रभाव को संतुलित करेगा।
मुक्त व्यापार समझौता (IMFTA)
- भारत-मालदीव मुक्त व्यापार समझौते (IMFTA) पर बातचीत शुरू हुई। यह मछली, जलीय कृषि, और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाएगा।
- फायदा: भारतीय मछुआरों और व्यापारियों को मालदीव में नया बाजार मिलेगा। मालदीव को भारतीय उत्पाद सस्ते मिलेंगे, जिससे दोनों देशों का व्यापार बढ़ेगा।
आवास और बुनियादी ढाँचा
- हुलहुमाले में 3,300 सामाजिक आवास इकाइयों का हस्तांतरण।
- अड्डू शहर में सड़क और जल निकासी प्रणाली परियोजना का उद्घाटन।
- 6 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएँ शुरू, जैसे जल आपूर्ति और सीवरेज सुविधाएँ।
- फायदा: भारत की मदद से मालदीव में रहन-सहन का स्तर सुधरेगा। यह भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगा और मालदीव में भारत की सकारात्मक छवि बनाएगा।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- माले में रक्षा मंत्रालय भवन का उद्घाटन।
- 72 भारी वाहनों और दो भीष्म हेल्थ क्यूब सैट का हस्तांतरण।
- मालदीव की राष्ट्रीय रक्षा सेना (MNDF) को 4 मिलियन डॉलर (33.2 करोड़ रुपये) की ग्रांट।
- फायदा: मालदीव की रक्षा क्षमता बढ़ने से हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में भारत-मालदीव सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाएगा।
डिजिटल और तकनीकी सहयोग
- यूपीआई और रूपे पेमेंट सिस्टम की शुरुआत, जिससे मालदीव में पर्यटन और खुदरा व्यापार बढ़ेगा।
- भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान और मालदीव मौसम विज्ञान सेवा के बीच समझौता।
- डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या स्तर पर डिजिटल समाधानों को साझा करने का समझौता।
- फायदा: भारतीय डिजिटल कंपनियों को मालदीव में नया बाजार मिलेगा। भारतीय पर्यटकों के लिए मालदीव में लेन-देन आसान होगा, जिससे पर्यटन बढ़ेगा।
स्वास्थ्य और मत्स्य पालन
- मालदीव ने भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को मान्यता दी, जिससे भारतीय दवाएँ मालदीव में आसानी से उपलब्ध होंगी।
- मत्स्य पालन और जलीय कृषि में सहयोग के लिए समझौता।
- फायदा: भारतीय फार्मा कंपनियों को मालदीव में बाजार मिलेगा। मछुआरों को मालदीव में व्यापार के अवसर बढ़ेंगे।
सांस्कृतिक और राजनयिक मजबूती
- भारत-मालदीव राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ पर संयुक्त डाक टिकट जारी।
- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू ने पौधरोपण किया।
- फायदा: सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध मजबूत होंगे। मालदीव में भारत की छवि एक भरोसेमंद दोस्त के रूप में और मजबूत होगी।
मालदीव के साथ रिश्तों में सुधार
- पिछले दो सालों में मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान ने भारत के खिलाफ माहौल बनाया था। राष्ट्रपति मुइज्जू ने शुरू में भारत से दूरी बनाई और चीन की ओर झुकाव दिखाया। लेकिन भारत की आर्थिक और रणनीतिक मदद ने मालदीव को भारत की अहमियत समझा दी।
- 2024 में आर्थिक सहायता: 400 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप सुविधा और 28 द्वीपों पर जल आपूर्ति और सीवरेज परियोजनाएँ।
- 2025 में अतिरिक्त सहायता: 69 मिलियन डॉलर की अनुदान सहायता और 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को आगे बढ़ाया।
- उच्चस्तरीय यात्राएँ: मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील और रक्षा मंत्री घस्सान मौमून की भारत यात्रा ने रिश्तों को नया आयाम दिया।
राष्ट्रपति मुइज्जू ने पीएम मोदी की यात्रा के दौरान कहा, “भारत हमारा सबसे करीबी और मूल्यवान साझेदार है। IMFTA हमारी आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।” यह दर्शाता है कि मालदीव अब भारत के साथ सहयोग को प्राथमिकता दे रहा है।
भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक महत्व
- हिंद महासागर में प्रभाव: मालदीव हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग पर है। भारत की मदद से मालदीव की रक्षा और आर्थिक स्थिति मजबूत होने से भारत का क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ेगा।
- चीन के प्रभाव को संतुलित करना: मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव एक चुनौती था। भारत की आर्थिक और रक्षा सहायता ने मालदीव को भारत के करीब लाया।
- पर्यटन और व्यापार: यूपीआई और रूपे जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम से भारतीय पर्यटकों के लिए मालदीव की यात्रा आसान होगी। इससे पर्यटन और व्यापार बढ़ेगा।
- सॉफ्ट पावर: आवास, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे में भारत की मदद से मालदीव में भारत की छवि एक भरोसेमंद दोस्त के रूप में मजबूत हुई।
दोनों देशों के लिए साझा लाभ
इंग्लैंड
- यूके को भारत जैसे बड़े बाजार में प्रवेश मिलेगा। उनकी व्हिस्की, कारें, और मेडिकल उपकरण भारत में सस्ते होंगे, और उनकी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
- 90% ब्रिटिश उत्पादों पर भारत में टैरिफ कटौती से यूके को 6 अरब पाउंड का निवेश और निर्यात लाभ मिलेगा।
- यूके में हजारों नौकरियाँ सुरक्षित होंगी, खासकर व्हिस्की, ऑटोमोबाइल और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में।
- मालदीव
- भारत की आर्थिक मदद से मालदीव की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। 4,850 करोड़ रुपये की ऋण सहायता और ऋण चुकौती में राहत से मालदीव की वित्तीय स्थिति सुधरेगी।
- आवास, सड़क और रक्षा परियोजनाएँ मालदीव के लोगों के जीवन को बेहतर करेंगी।
- यूपीआई और IMFTA जैसे समझौते मालदीव के पर्यटन और व्यापार को बढ़ाएंगे।
भारत
- दोनों देशों के साथ व्यापार और निवेश बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- हिंद महासागर में भारत का रणनीतिक प्रभाव बढ़ेगा, और ‘मेक इन इंडिया’ को नया प्रोत्साहन मिलेगा।
- किसानों, कारीगरों, युवाओं और MSMEs को नए अवसर मिलेंगे, जिससे भारत की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।
पीएम नरेंद्र मोदी की इंग्लैंड और मालदीव यात्रा ने भारत को वैश्विक मंच पर और मजबूत किया है। यूके के साथ CETA समझौते ने भारत के लिए व्यापार, रोजगार और शिक्षा के नए दरवाजे खोले हैं। मालदीव के साथ समझौतों ने भारत की सॉफ्ट पावर और हिंद महासागर में रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया है। ये दोनों दौरे भारत की ‘पड़ोसी पहले’ और ‘सागर’ नीति के तहत क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
यह सिर्फ व्यापारिक और रणनीतिक समझौते नहीं हैं, बल्कि भारत की तरक्की की नई कहानी हैं। किसानों को नए बाजार, युवाओं को नौकरियाँ और MSMEs को वैश्विक पहचान मिलेगी। पीएम मोदी का नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी नीतियाँ भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की राह पर तेजी से ले जा रही हैं।