मुस्लिमों का किसी मंदिर के भीतर इस्लाम के प्रचार में पर्चे बाँटना, अल्लाह की अच्छाइयाँ बताना और अपने मजहब की बातें करना कोई अपराध नहीं है। यह बात कहते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने तीन मुस्लिमों के खिलाफ एक पूरा केस रद्द कर दिया है। यह मुस्लिम एक पुराने मंदिर के भीतर इस्लाम का प्रचार करने के मामले में गिरफ्तार हुए थे।
लाइवलॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस वेंकटेश नाइक ने यह कहते हुए मंदिर के भीतर पैम्फलेट बाँटने वाले मुस्लिमों को जमानत दी कि इस मामले में शिकायत उनके जरिए नहीं करवाई गई थी, जो धर्मांतरण का शिकार बने हों या फिर उससे सम्बन्धित हों।
जस्टिस नाइक ने कहा कि FIR को सच भी मान लिया जाए तो बात यह है कि मंदिर के भीतर मुस्लिमों ने किसी को दबाव में लेकर धर्मांतरित करने का प्रयास नहीं किया, ऐसे में उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और केस रद्द किया जाता है।
जस्टिस नाइक के फैसले का फायदा उन 3 मुस्लिमों को मिला, जिन पर मई, 2025 में कर्नाटक के जामखंडी शहर में स्थित रामतीर्थ मंदिर के भीतर इस्लाम के लिए पर्चे बाँटने, अल्लाह के बारे में दुनिया भर की बातें बताने के साथ सनातन को भला-बुरा बोलने को लेकर FIR करवाई गई थी।
उनके खिलाफ एक भक्त ने FIR करवाई थी। इसमें यह भी बताया गया था कि मौके पर मौजूद मुस्लिम सिर्फ इस्लाम का प्रचार ही नहीं कर रहे थे बल्कि वह इस्लाम में धर्मांतरित होने पर दुबई में नौकरी और गाड़ियों तक का लालच दे रहे थे।
इस मामले में उनके खिलाफ कर्नाटक के धर्मांतरण रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था और उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इसके खिलाफ इन मुस्लिमों ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया था और FIR रद्द करने की माँग की थी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें यह राहत दे दी है।