उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल ही में ‘ऑपरेशन अस्मिता’ चलाया। इसमें एक बड़ा धर्मांतरण गिरोह पकड़ा गया। इस ऑपरेशन में छह राज्यों से 10 लोग गिरफ्तार हुए। यह नेटवर्क लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण कराने, विदेशों से फंडिंग हासिल करने और कट्टरता फैलाने का काम कर रहा था। पुलिस मानती है कि यह तरीका ISIS जैसे आतंकी संगठन इस्तेमाल करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गिरोह के तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इन्हें कनाडा, UAE और अमेरिका से फंडिंग मिलती थी। यह मामला आगरा की दो लापता बहनों की जाँच से सामने आया।
जाँच में 7 लोगों के खिलाफ सबूत मिले। उनके खिलाफ वारंट जारी हुए। फिर पुलिस ने 11 टीमें छह राज्यों में भेजीं। आगरा पुलिस ने यूपी, गोवा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान में छापे मारे। यह गिरोह बलरामपुर के छांगुर पीर वाले गैंग से भी खतरनाक बताया जा रहा है।
आगरा पुलिस कमिश्नर ने जानकारी दी कि इस गिरोह में हर सदस्य का काम तय था। कुछ लोग ब्रेनवॉश करते थे। कुछ पैसा जमा करते थे और विदेशों से आए फंड को दूसरों तक पहुँचाते थे। कुछ सदस्य गिरोह के लोगों को छिपने की जगह देते थे। कुछ कानूनी सलाह देते थे और कुछ नए फोन व सिम का इंतजाम करते थे।
कैसे शुरू हुई जाँच?
मार्च 2025 में आगरा के सदर बाजार थाने में दो सगी बहनों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई थी। इनमें एक की उम्र 33 और एक की 18 साल थी। शुरुआत में यह गुमशुदगी का मामला था, लेकिन बाद में इसे अपहरण में बदल दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, दोनों बहनें अपना फोन नहीं ले गई थीं और सोशल मीडिया पर अपने असली नामों से एक्टिव नहीं थी, इसलिए पुलिस के लिए उनका पता लगाना मुश्किल था। पुलिस आयुक्त के निर्देश पर अपर पुलिस उपायुक्त ने इस ऑपरेशन की कमान संभाली।
I’D से खुली धर्मांतरण की पोल
पुलिस को परिवार से जो भी जानकारी प्राप्त थी उसी के आधार पर साइबर सेल ने काम करना शुरू किया था। उन्हें इंस्टाग्राम पर एक ‘कनेक्टिंग रिवर्ट आईडी‘ मिली। आईडी की जब जाँच की गई, तब कोलकाता लोकेशन का पता चला।
इस आईडी से जो भी लोग जुड़े थे उनकी जाँच की गई। पुलिस की एक महिला दारोगा ने फेक नाम बताकर खुद का धर्मांतरण के लिए संपर्क किया। फिर महिला दरोगा को आईडी से जवाब आता है। जवाब देने वाली एक महिला होती है। यहीं से पुलिस को आयशा का सुराग मिलता है। इसके बाद बैंक खातों की जानकारी भी हाथ लगती है।
छह राज्यों में एक साथ छापेमारी
लापता बहनों को खोजने के लिए पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ चलाया। कोलकाता में बहनों के होने का मजबूत सुराग था। इसलिए वहाँ एसीपी के साथ चार टीमें भेजी गईं। दिल्ली, राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और यूपी के बाकी इलाकों में भी टीमें भेजी गईं, जिनमें चार से पाँच पुलिसकर्मी थे।
गोवा के लिए पुलिस एयरप्लेन से भी गई। एक ही समय पर पुलिस ने सभी 6 राज्यों में छापा मारा। 50 पुलिसकर्मियों ने चार दिन तक दिन-रात काम किया और आखिरकार बहनें मिल गईं, साथ ही इस गिरोह के लोग भी पकड़े गए।
कैसे काम करता था यह गिरोह?
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह बहुत ही व्यवस्थित था। ये लोग लव जिहाद करते थे। यानी, लड़कियों को प्रेमजाल में फँसाते थे। फिर उन्हें धर्म बदलने के लिए उकसाते थे। वे धर्म बदलने के कागजात भी बनाते थे। लड़कियों को कट्टर भी बनाते थे।
इन्हें विदेशों से पैसा मिलता था। ये पैसे को सही जगह लगाते थे। छिपने के लिए सुरक्षित घर भी देते थे। कानूनी सलाह भी देते थे। नए फोन और सिम का भी इंतजाम करते थे। यह गिरोह दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, गोवा, देहरादून और यूपी के कई शहरों में फैला था।