सरकार ने पहले चन्नारायपटना और आसपास के गाँवों में 1777 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन किसान शुरू से इसका विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि जमीन उपजाऊ है और यही उनकी आजीविका का जरिया है।
किसानों के 1198 दिनों से चल रहे विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो किसान जमीन देना चाहते हैं, सरकार उन्हें ज्यादा मुआवजा और विकसित भूखंड देगी। जो किसान खेती जारी रखना चाहते हैं, वे बिना रोकटोक ऐसा कर सकते हैं। यह फैसला किसानों के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
आंध्र प्रदेश ने खुला निमंत्रण दिया
कर्नाटक द्वारा देवनहल्ली में एयरोस्पेस पार्क की योजना रद्द करने के तुरंत बाद, आंध्र प्रदेश ने इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश की। आंध्र प्रदेश के मानव संसाधन विकास मंत्री नारा लोकेश ने सोशल मीडिया पर एयरोस्पेस कंपनियों को आंध्र आने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के पास एक आकर्षक एयरोस्पेस नीति है, जिसमें बेहतरीन प्रोत्साहन और 8000 एकड़ से ज्यादा तैयार जमीन मौजूद है, जो बेंगलुरु के पास ही है।
Dear Aerospace industry, sorry to hear about this. I have a better idea for you. Why don’t you look at Andhra Pradesh instead? We have an attractive aerospace policy for you, with best-in-class incentives and over 8000 acres of ready-to-use land (just outside Bengaluru)! Hope to…
— Lokesh Nara (@naralokesh) July 15, 2025
उन्होंने कंपनियों से जल्द बातचीत की उम्मीद भी जताई। यह दिखाता है कि आंध्र प्रदेश इस परियोजना को अपने राज्य में लाकर खुद को एयरोस्पेस उद्योग का केंद्र बनाना चाहता है।
आंध्र प्रदेश का बड़ा औद्योगिक विकास
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश सरकार रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष तकनीक जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बड़े उद्योगों को आकर्षित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। राज्य की तटीय स्थिति, मजबूत बुनियादी ढाँचा और निवेशक-अनुकूल नीतियाँ मिलकर इसे निवेश के लिए एक आकर्षक स्थान बना रही हैं।
हाल ही में नायडू ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के बाद आंध्र प्रदेश को देश का तीसरा रक्षा औद्योगिक गलियारा बनाया जाए।
उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को लड़ाकू विमान AMCA और LCA के निर्माण के लिए जमीन देने की पेशकश की है। नायडू ने राज्य में कई रक्षा और एयरोस्पेस क्लस्टर स्थापित करने की योजना भी बनाई है।
इनमें जग्गय्यापेटा-डोलकोंडा क्षेत्र में गोला-बारूद और मिसाइल निर्माण केंद्र, श्रीहरिकोटा के पास 2000 एकड़ में प्रक्षेपण केंद्र और उपग्रह निर्माण सुविधा, तथा लेपाक्षी-मदकासिरा क्षेत्र में विमान और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन क्लस्टर शामिल हैं।
राज्य सरकार ने इस दिशा में विशेषज्ञों को भी जोड़ा है, पूर्व DRDO प्रमुख जी सतीश रेड्डी को रक्षा और एयरोस्पेस सलाहकार और पूर्व ISRO अध्यक्ष एस सोमनाथ को अंतरिक्ष तकनीक के मानद सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, 2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृष्णा जिले में एक मिसाइल परीक्षण रेंज की आधारशिला रखी, जिससे भारत की रक्षा रणनीति में आंध्र प्रदेश की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
रक्षा ही नहीं अंतरिक्ष में भी आंध्र प्रदेश अग्रणी
आंध्र प्रदेश सिर्फ रक्षा ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अग्रणी बनना चाहता है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने श्रीहरिकोटा और लेपाक्षी के पास दो ‘अंतरिक्ष शहर’ बसाने की योजना बनाई है।
इन शहरों में उपग्रह निर्माण, प्रक्षेपण यान तैयार करने और अंतरिक्ष अनुसंधान की सुविधाएँ होंगी, जो इसरो और निजी कंपनियों दोनों की जरूरतों को पूरा करेंगी। नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश उपग्रह निर्माण से लेकर उन्नत अनुसंधान तक हर चीज के लिए पूरी तरह तैयार है और उन्होंने इस योजना में केंद्र सरकार से सहयोग की अपील की है।
यह पहल राज्य के औद्योगिक विकास की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। नायडू के नेतृत्व में राज्य निवेश संवर्धन बोर्ड ने जून 2024 से अब तक 5 लाख करोड़ की 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिससे हजारों लोगों को रोज़गार मिलेगा।
इसके अलावा आंध्र प्रदेश हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है और पिछले आठ महीनों में 4 ट्रिलियन (4 लाख करोड़) का निवेश आकर्षित कर चुका है। LG इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियाँ श्री सिटी जैसे शहरों में अपने प्लांट लगा रही हैं, जिससे राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्ट उपकरणों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है।